हरिद्वार12 मिनट पहले
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प्रकृति में नित्य नवाचार होते रहते हैं, प्रकृति निरंतर बदलती रहती है। शास्त्र कहते हैं कि परमात्मा नित्य, शाश्वत, सनातन है। परमात्मा भी हर पल नया है और हम उसी परमात्मा के अंश हैं। इसी वजह से हमारे जीवन में भी नयापन और उत्साह आते रहता है। हमारी नवीनता और नित्यता कभी भी पुरानी नहीं होती है। हमारा स्वभाव, शरीर, विचार बदलते रहते हैं, लेकिन हमारी मूल सत्ता कभी भी बदलती नहीं है। जब हम परमात्मा की नवीनता को समझ लेते हैं, तब हमारे जीवन में ऐसा आनंद आता है, जो हमेशा हमारे साथ रहता है।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए हमारी सभी दुविधाएं कैसे दूर हो सकती हैं?
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