30 मिनट पहले
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भगवान विष्णु यज्ञ और दान करने वाले राजा बलि के सेवक बन गए थे, हर जगह उसे मान-सम्मान मिला था। जो लोग यज्ञ और दान-पुण्य करते हैं, उनकी कीर्ति चारों दिशाओं में फैलती है। दान करने का अर्थ ये नहीं है कि हम अपना सब कुछ दान कर दें। हमें अपने सामर्थ्य के अनुसार छोटी-छोटी चीजें समाज की भलाई के लिए दान करनी चाहिए। धन का दान करने के साथ ही जो बच्चे साधनहीन हैं, उन्हें शिक्षा का दान करें, पढ़ाई-लिखाई की चीजें उपहार में दें। हम लोगों को अच्छे संस्कार, ग्रंथ और ज्ञान का भी दान कर सकते हैं।
आज जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी गिरि के जीवन सूत्र में जानिए धन के साथ ही और किन चीजों का दान कर सकते हैं?
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