9 days left in the political battle | सियासी संग्राम में 9 दिन बाकी: नए मुद्दों की कमी से विधानसभा चुनाव में प्रचार की धार कमजोर; झारखंड में पहले चरण का प्रचार थमा, वोटिंग 13 को – Ranchi News


झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के सियासी संग्राम में नौ दिन बाकी बचे हैं। हालांकि नए मुद्दों की कमी से प्रचार की धार जोर नहीं पकड़ पाई। चुनाव भले विधानसभा के हों, लेकिन मुद्दे लोकसभा चुनाव के ही चर्चा में हैं।

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दोनों राज्यों में सीधी लड़ाई भाजपा और कांग्रेस की अगुवाई वाले गठबंधनों में है। नेताओं के भाषण भी अवैध घुसपैठ, तुष्टीकरण, धर्मांतरण, भ्रष्टाचार, महंगाई, संविधान खतरे में है- जैसे मुद्दों के आसपास घूम रहे हैं। इस बीच, झारखंड के पहले चरण की 43 सीटों के लिए प्रचार सोमवार को थम गया। यहां बुधवार को मतदान है।

लोकसभा चुनाव के 6 महीने बाद इन चुनावों में कुछ नया है तो बस नारे हैं। आम चुनाव में झटके बाद भाजपा ने अपने वोटरों को एकजुट करने के लिए ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ जैसे नारे दिए हैं। वहीं, कांग्रेस और विपक्ष ‘लड़ेंगे तो जीतेंगे’ और ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे’ जैसे नारों से इनका जवाब दे रहा है।

इन सबके बीच दोनों राज्यों में महिला सबके फोकस में हैं। लोकसभा चुनाव के बाद झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार मंईंया सम्मान योजना में महिलाओं को हर महीने 1000 रु. दे रही है। महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार लाडकी बहिन योजना में 1500 रु. महीने दे रही है। दोनों राज्यों में दोनों पक्षों ने इसे बढ़ाने का भी वादा किया है।

झारखंड… इंडिया बनाम एनडीए, स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्दे दोनों

झारखंड में मुख्य लड़ाई झामुमो की अगुवाई वाले इंडिया गठबंधन और भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए में है। चुनाव में स्थानीय और राष्ट्रीय दोनों मुद्दे हावी हैं। दूसरे चरण की 38 सीटों पर 20 नवंबर को होगा मतदान।

इंडिया: हेमंत सरकार की योजनाओं और आदिवासी अस्मिता पर मैदान में

इंडिया ने हेमंत सोरेन सरकार की योजनाओं, आदिवासी अस्मिता व संस्कृति संरक्षण, जल-जंगल-जमीन की सुरक्षा, गांव-गरीब-किसानों की खुशहाली, नौकरी में स्थानीय को प्राथमिकता और 1932 की खतियान नीति बनाने को मुद्दा बनाया है। महिलाओं को मईंया योजना में 1000 रु. दे रहे हैं। इसे 2500 करने का वादा है।

  • नारा: एक ही नारा हेमंत दुबारा, 1 वोट 7 गारंटी
  • प्रचार: हेमंत और उनकी पत्नी कल्पना की 95 सभा हुईं। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने 4-4 सभाएं कीं। राजद से तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद ने भी प्रचार किया।

एनडीए: घुसपैठ, धर्मांतरण, भ्रष्टाचार, रोटी–बेटी और माटी को बनाया मुद्दा

एनडीए ने सोरेन सरकार में बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ने, भ्रष्टाचार, वादाखिलाफी, खनन घोटाला, माटी-बेटी और रोटी की सुरक्षा, आदिवासियों की आबादी घटने, घुसपैठियों द्वारा आदिवासियों की जमीन पर कब्जा करने और पेपर लीक को मुद्दा बनाया है। महिलाओं को हर महीने 2100 रु. देने का वादा किया है।

  • नारा: भाजपा ने झारखंड बनाया, भाजपा ही संवारेगी
  • प्रचार: पीएम नरेंद्र मोदी की 4 सभा, 1 रोड शो, गृह मंत्री अमित शाह की 9 सभा, 1 रोड शो। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्‌डा, राजनाथ सिंह, शिवराज चौहान, योगी आदित्यनाथ सहित बड़े नेताओं की 170 सभा।

महाराष्ट्र… सबसे ज्यादा दल-बागी और सबसे कठिन लड़ाई

लड़ाई भाजपा की अगुवाई वाले सत्तारूढ़ महायुति और कांग्रेस की अगुवाई वाले एमवीए के बीच। सबसे ज्यादा पार्टी, प्रत्याशी और बागी होने से लड़ाई रोचक। सभी 288 सीटों पर मतदान एक चरण में 20 नवंबर को होगा।

एमवीए: ​महाराष्ट्र से सौतेले व्यवहार… संविधान, आरक्षण पर मांग रहे समर्थन

कांग्रेस, शिवसेना-उद्धव, एनसीपी-शरद ने संविधान बचाने, महंगाई, महिला अत्याचार, महाराष्ट्र के उद्योग गुजरात ले जाने, अदाणी को धरावी प्रोजेक्ट देने, शिवसेना-एनसीपी बगावत, किसानों-युवाओं की बदहाली, जाति जनगणना और ईडी-सीबीआई के दुरुपयोग को मुद्दे बनाया है। महिलाओं को 3 हजार रु. देने का वादा। मराठा आंदोलन ने फायदे की उम्मीद।

  • नारा: जुड़ेंगे तो जीतेंगे।
  • प्रचार: उद्धव, शरद पवार, नाना पटोले, आदित्य ठाकरे, सुप्रिया सुले सहित स्थानीय नेता मैदान में हैं। राहुल गांधी की 2 सभा हुईं। प्रियंका गांधी की रैली होगी।

महायुति: हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और मोदी सरकार के विकास पर लड़ रहे चुनाव

भाजपा-शिंदे सेना-एनसीपी अजित पवार (महायुति) उद्धव सरकार में तुष्टीकरण, मेट्रो-बुलेट ट्रेन जैसी योजना अटकाने, वोट जिहाद, संविधान से धोखाधड़ी, अर्बन नक्सलवाद पर आक्रामक है। मोदी सरकार के विकास पर जोर। लाडकी बहिन योजना से महिलाओं को 1500 रु. दिए। मराठा आंदोलन के नुकसान से बचने के लिए हिंदू एकता पर फोकस किया।

  • नारा: बंटेंगे तो कटेंगे, एक रहें, सेफ रहें
  • प्रचार: देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और शिंदे प्रचार की कमान संभाल रहे हैं। पीएम मोदी 4, गृहमंत्री अमित शाह 6, योगी आदित्यनाथ 2 सभा कर चुके हैं।

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