3.5 years ago, defeat in the mayoral election was certain… yet she stood with the party, this is the reward for that | भाजपा का ‘कुसुम’ खिला: 3.5 साल पहले मेयर चुनाव में हार तय थी… फिर भी पार्टी के साथ डटी रहीं, इसी का इनाम – Jaipur News


हेरिटेज की सरकार बनाने के बाद महापौर कुसुम यादव सीएम भजनलाल शर्मा से मिलीं।

भाजपा ने पार्षद कुसुम यादव को साढ़े तीन साल पहले मेयर चुनाव में मुनेश के सामने मिली हार का इनाम दिया है। यादव ने पार्षद का चुनाव निर्दलीय लड़ा था और जीतने के बाद भाजपा को समर्थन दिया था। भाजपा ने यादव को मेयर के चुनाव में खड़ा किया। तब कांग्रेस के पास न

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इसी का नतीजा रहा कि पार्टी ने यादव को कार्यवाहक मेयर का तोहफा दिया। यादव की संगठन-सरकार और आरएसएस में अच्छी पकड़ है। दूसरा बड़ा कारण वे किशनपोल विधानसभा क्षेत्र से आती हैं। कभी भाजपा का गढ़ माने जाने वाली किशनपोल विधानसभा से पार्टी लगातार दो चुनाव से हार रही है। ऐसे में यादव को मेयर बनाने पर मजबूत स्थिति में होने की उम्मीद है। आने वाले नगर निगम और विधानसभा चुनाव में भाजपा को फायदा मिलेगा।

भाजपा को समर्थन देने वाले कांग्रेस के 8 पार्षदों को नोटिस: कांग्रेस जिला अध्यक्ष आरआर तिवाड़ी ने भाजपा को समर्थन देने वाले कांग्रेस के 8 पार्षदों को अनुशासनहीनता का नोटिस दिया है। माना जा रहा है कि इनकी सदस्यता निलंबित की जा सकती है। बता दें कि इससे पहले 23 जून को हेरिटेज मेयर को हटाने को लेकर कांग्रेस के 6 पार्षद पूर्व भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी से मिले थे। तब मनोज मुद्गल, उत्तम शर्मा, दशरथ सिंह शेखावत, सराेज तंवर, सुनीता शेखावत व ज्योति चौहान को नोटिस दिया था।

अब आगे; पहले चुनाव न हुए तो 15 माह कुसुम रहेंगी मेयर वर्तमान में हेरिटेज निगम में भाजपा का बोर्ड नहीं है। कांग्रेस के 8 पार्षदों ने बिना शर्त बीजेपी को समर्थन दिया है। ऐसे में अब हेरिटेज निगम में भाजपा का बोर्ड बन गया है। संभावना है कि आने वाले दिनों में मेयर चुनाव की नौबत नहीं आएगी।

सरकार कुसुम का दो-दो महीने का कार्यकाल बढ़ाकर 15 महीने का समय निकाल सकती है। बता दें कि दिसंबर 2025 में निगम के चुनाव होने हैं और सरकार इससे पहले भी चुनाव करा सकती है। डीएलबी के पूर्व विधि निदेशक अशाेक सिंह ने बताया कि कार्यवाहक मेयर की नियुक्ति और दो-दो माह का असीमित विस्तार देने का अधिकार सरकार के पास है।

15 साल में निगम के 3 बोर्ड में बदले 8 मेयर

जयपुर में 15 साल में निगम के 3 बोर्ड में 8 मेयर बने, लेकिन परिसीमन के बाद बदले समीकरणों के चलते कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया। इसलिए राजनीति के पंडित इन 15 सालों को मेयर का खंडित राजयोग बताते हैं।

वर्ष 2009 में कांग्रेस ने मेयर का सीधा चुनाव करवाया था। एक ही जाति विशेष के बड़े वोट बैंक के चलते कांग्रेस ज्योति खंडेलवाल को अपना पहला मेयर बनाने में सफल रही। हालांकि राजनीतिक वर्चस्व के चलते मेयर खंडेलवाल, सांसद महेश जोशी और तत्कालीन कांग्रेस विधायकों में जमकर झगड़े हुए। नतीजा उनके कार्यकाल में पहले दो साल में 5 सीईओ समेत 14 अफसर बदले गए। आखिरी 3 साल में मेयर व सरकार के बीच झगड़ा इतना बढ़ा कि मेयर ने अपनी ही सरकार की शिकायत दिल्ली तक कर दी।

वर्ष 2014 में निगम में भाजपा का बोर्ड बना। अशोक लाहोटी को मेयर बनाने के लिए पार्षद चुनाव लड़वाया, लेकिन एेनवक्त पर निर्मल नाहटा को मेयर बना दिया गया। वे दो साल ही मेयर रहे। तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष की नाराजगी के चलते उनको हटाकर लाहोटी को मेयर की कुर्सी सौंपी गई। वे भी दो साल मेयर रहे। उनका चेयरमैनों से झगड़ा चलता रहा। लाहोटी के विधायक बनने के बाद भाजपा ने डिप्टी मेयर मनोज भारद्वाज को मेयर चुनाव लड़वाया, लेकिन वे 1 वोट से हार गए और विष्णु लाटा काबिज हो गए।

वर्ष 2019 में कांग्रेस ने दो निगम बना दिए। ग्रेटर निगम में भाजपा की सौम्या गुर्जर मेयर बनी तो हेरिटेज निगम में कांग्रेस की मुनेश गुर्जर। छह महीने बाद ही सौम्या को अफसरों से विवाद के चलते सरकार ने निलंबित कर दिया और शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बनाया। उनका कार्यकाल दो-दो महीने के लिए तीन बार बढ़ाया। बाद में मेयर चुनाव की घोषणा कर दी।

भाजपा में झगड़े शुरू हो गए। वोटिंग भी हो गई, लेकिन कोर्ट ने सौम्या को पद पर बहाल कर दिया। इसके बाद मुनेश को विधायकों से हुए झगड़ों का खमियाजा भुगतना पड़ा और तीन बार निलंबित हुई। अब बार भारी खींचतान के बाद भाजपा ने मुनेश को निलंबित कर कुसुम यादव को मेयर की कुर्सी सौंपी है।

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