जिस तरह पुलिसकर्मियों और लोगों ने जीवनदायी इंजेक्शन के लिए 8.50 करोड़ जुटाकर पूर्व में हृदयांश को नया जीवन दिया, उसी तरह अब मांग्यावास के हनुमंत विहार निवासी 2 वर्षीय अर्जुन की जान बचाने के लिए शिक्षा विभाग व लोग फंड जुटा रहे हैं। 24 माह के अर्जुन को
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मा. शिक्षा निदेशक मोदी ने की पहल, कर्मचारी आगे आए
बीमारी से पीड़ित बच्चे की मां पूनम जांंगिड़ शिक्षा विभाग में प्रयोगशाला सहायक हैं। उन्होंने विभाग से आर्थिक मदद की मांग की। इस पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और एजुकेशन सेक्रेटरी कृष्ण कुणाल की पहल पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी आगे आए और सभी शिक्षकों को, कर्मचारियों से इच्छा से मदद के लिए कहा। इस दौरान मार्च में करीब 1.50 करोड़ रुपए जुटे। इसके बाद और मदद की आवश्यकता पड़ी तो उन्होंने जून-जुलाई माह के वेतन से 60-60 देने की अपील की। इसके बाद अब 1.50 करोड़ रुपए और जुट गए हैं। विभाग के शिक्षक एक अच्छी पहल करते हुए किसी ने ज्यादा और किसी ने कम देकर अब तक करीब 3 करोड़ का फंड जुटा चुके हैं।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (एसएमए) आनुवंशिक बीमारी है, जो रीढ़ की हड्डी और नसों को प्रभावित करती है। बीमारी शरीर के केंद्र के सबसे नजदीक की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है, जैसे कंधे, कूल्हे, जांघ और ऊपरी पीठ पर दिक्कत होती है।
लोगों ने जुटाई 4 करोड़ से ज्यादा की राशि
बीमारी का पता चलते ही अर्जुन के पिता सबसे पहले इस बीमारी से पीड़ित अन्य बच्चों के परिजनों से मिले, तब उनसे पता चला कि क्राउड फंडिंग के रास्ते ही हल निकल सकता है। ऐसे में उन्होंने कुछ सोशल साइड और सोशल मीडिया पर मदद की अपील की। धीरे-धीरे इससे लोग जुटते गए। अब तक क्राउड फंडिंग के जरिए करीब 4.65 करोड़ रुपए जुट चुके हैं। बच्चे के लिए पिता के नंबर पर 8447735522 मदद की जा सकती है।
19 माह का हुआ तब इस बीमारी का पता चला
बच्चे के पिता पंकज जांगिड़ निजी कंपनी में जॉब करते हैं। 19 माह का होने के बाद भी चल नहीं पाया तो 20 से 25 डॉक्टरों को दिखाया, मगर ठीक नहीं हुआ। इसके बाद जेके अस्पताल में डॉक्टर प्रियांशु माथुर ने इस बीमारी को पकड़ा।