तारीख- 7 जुलाई 2013। समय- सुबह 5.40 से 6 बजे के बीच।
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हर दिन की तरह उस रोज भी बोध गया के मुख्य मंदिर का पट खुला था। बौध भिक्षु पूजा करने के लिए पहुंचने लगे थे। तभी महाबोधि मंदिर और उसके आसपास के इलाके में अचानक एक के बाद एक धमाके होने लगे। करीब 20 से भी कम समय में 9 बम विस्फोट हुए। सुबह-सुबह हुए इन धमाकों की गूंज बिहार से लेकर विदेश तक पहुंची।
इन 20 मिनट में बौद्धों के सबसे पवित्र स्थल महाबोधी मंदिर के अंदर 4 विस्फोट हुए, 3 विस्फोट तेरघर मॉनेस्ट्री में हुए, जिसे करमापा मठ के रूप में भी जाना जाता है। दो विस्फोटों में से एक 80 फुट ऊंची बुद्ध प्रतिमा के पास हुआ था। जबकि, दूसरा विस्फोट थोड़ी दूर स्थित बस स्टैंड में खड़ी बस में हुआ था।
धमाकों के बाद मंदिर परिसर में भगदड़ की स्थिति हो गई। एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु और म्यांमार के तीर्थ यात्री समेत 5 लोग घायल हो गए। हालांकि, इसमें किसी के जान-माल की क्षति नहीं हुई थी।
पहलगाम हमले के बाद बिहार में पुलिस की चप्पे–चप्पे पर निगरानी है। बीते 12 सालों में यहां 3 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। पटना सीरियल ब्लास्ट के बाद आज दूसरे पार्ट में गया के महाबोधि मंदिर में बम ब्लास्ट की कहानी। इसके सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा हो चुकी है।
महाबोधि मंदिर को उड़ाने की थी साजिश
NIA की जांच में इस बात की पुष्टि हुई कि आतंकियों की पूरी प्लानिंग बोधगया मंदिर और बोधि वृक्ष को उड़ाने की थी। आतंकियों ने महाबोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे। एक सिलेंडर बम रखा गया था, जिसमें टाइमर लगा था। विस्फोट के बाद सुरक्षा बलों ने 3 जिंदा बम बरामद किए थे।
जांच में पाया कि ये विस्फोट म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हो रही कार्रवाई का बदला था। ब्लास्ट के समय विदेशी तीर्थयात्री प्रार्थना के लिए जमा थे। 5 धमाके महाबोधि मंदिर परिसर के भीतर हुए थे। 3 तेरगर मठ में हुए थे, जहां करीब 200 प्रशिक्षु भिक्षु रहते थे और एक-एक धमाका 80 फुट की बुद्ध प्रतिमा के पास और बाइपास के करीब बस स्टैंड पर हुए थे।

जुलाई 2013 में गया के महाबोधि मंदिर में सिमी के आतंकियों ने एक के बाद एक 9 बम ब्लास्ट किए थे। हालांकि, इसमें किसी की जान नहीं गई थी।
दलाई लामा थे निशाने पर
बताया जाता है कि ब्लास्ट में निशाने पर धर्मगुरु दलाई लामा भी थे। घटना से एक दिन पहले ही दलाई लामा का जन्मदिन मनाया गया था। लामा को पटना में बुद्ध स्मृति पार्क में दुनियाभर के बौद्ध भिक्षुओं के होने वाले सम्मेलन में शामिल होना था।
आतंकी म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर हुए जुल्म का बदला लेने के मकसद से दलाई लामा समेत बौद्ध भिक्षुओं को निशाना बनाना चाहते थे, लेकिन महाराजगंज लोकसभा उपचुनाव की वजह से सम्मेलन रद्द कर दिया गया था।
सुबह की पूजा के साथ शुरू हो गए थे धमाके
प्रत्यक्षदर्शी भिक्षुक प्रिय पाल बताते हैं, ’यह बेहद दर्दनाक घटना थी। 2013 से पहले ऐसी घटना कभी हुई नहीं थी। सुबह की पूजा शुरू हो रही थी। तभी धमाके होने लगे। श्रद्धालु जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहे थे। तब मंदिर में 400-500 लोग रहे होंगे। घटना के बाद पुलिसिया कार्रवाई में भी देरी हुई थी। इससे ज्यादा कुछ नहीं बता सकता हूं।’
बोध गया ब्लास्ट बिहार की पहली आतंकी घटना
तब NIA के SP रहे विकास वैभव घटना को याद करते हुए बताते हैं, ‘बोध गया ब्लास्ट बिहार की पहली आतंकवादी घटना थी। इससे पहले यहां से आतंकवाादी पकड़े जरूर गए थे, लेकिन इस तरह की घटना नहीं हुई थी। पूरे देश में इस ब्लास्ट की चर्चा थी।
केस का इन्वेस्टिगेशन बेहद चुनौतीपूर्ण था। सीसीटीवी फुटेज, यात्री टिकट के अलावा कई डेटाबेस खंगाले गए। जांच के दौरान सबसे बड़ी जानकारी CCTV फुटेज से मिली। सुबह 4 बजे से एक व्यक्ति साधु के वेश-भूषा में मंदिर के चारों तरफ घूम रहा था। हैरानी इस बात की थी कि वो उल्टी परिक्रमा कर रहा था।
जब तक लोग उस व्यक्ति को समझ पाते, धमाका होने लगा। हालांकि, बम ज्यादा प्रभावशाली नहीं थे। कुछ फेल भी हो गए।’

NIA ने जिंदा सिलेंडर बम बरामद किया था। तब इस धमाके की गूंज विदेश तक पहुंची थी।
कपड़े से मिले एक बाल ने हैदर अली तक पहुंचाया
विकास वैभव बताते हैं, ‘इन्वेस्टिगेशन की खास बात है कि आतंकी जो कपड़ा पहनकर आया था वो कपड़ा वहीं उतार कर भागा था। NIA की टीम को बौद्ध भिक्षु के कपड़े पर एक बाल मिला था। बाल के DNA टेस्ट से हैदर के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले।’
जांच एजेंसी का दावा है कि हैदर ने जब मंदिर में महाबोधि वृक्ष के पास बम रखा था, तो वह यही कपड़े पहने हुआ था।’
बोध गया में फेल होने के बाद पटना को दहलाने की साजिश रची गई
विकास वैभव बताते हैं, ‘जांच में यह बात सामने आई थी कि बिहार में वे बड़ा धमाका करने की प्लानिंग कर रहे थे। फिदायीन हमले की भी प्लानिंग की जा रही थी। इसके लिए सबसे पहले उन्होंने बोधगया को टारगेट किया, लेकिन जैसी उनकी इच्छा थी, उस तरह से वे घटना को अंजाम नहीं दे सके। बोधगया की प्लानिंग फेल होने के बाद पटना में धमाके की साजिश रची गई।’
हैदर अली ने बनाई थी बम-विस्फोट की योजना
ब्लास्ट के लिए हैदर अली ने रायपुर में रहने वाले सिमी के सदस्य उमर सिद्दीकी से संपर्क किया था। हैदर रायपुर गया था और वहां राजा तालाब स्थित एक मकान में जिहाद के नाम पर उसे दीनी बातें यानी धर्म से संबंधित बातें कहकर भड़काया गया था। हैदर को बम विस्फोट का सामान भी वहीं दिया गया था।
हैदर ने ब्लास्ट के पहले बोधगया का चार-पांच बार दौरा कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था। हैदर और उसके साथी आतंकी संगठन सिमी के सदस्य थे। हैदर अली ने बौद्ध भिक्षु बनकर मंदिर में प्रवेश किया और विस्फोट किया था।

बोध गया ब्लास्ट फेल होने के बाद सिमी के आतंकियों ने पटना में बम ब्लास्ट की योजना बनाई थी।
सभी 5 आरोपियों को हुई थी उम्रकैद की सजा
बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में 4 साल 10 महीने और 12 दिन के भीतर फैसला सुनाया गया था। स्पेशल जज ने 31 मई 2018 को फैसला सुनाया था। UAPA की धाराओं के तहत सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। NIA कोर्ट ने पांच आरोपितों को इस मामले दोषी ठहराया।
ये आरोपी हैं- इंडियन मुजाहिदीन के अजहर कुरैशी, इम्तियाज अंसारी, मोजिबुल्लाह अंसारी, हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी और उमर सिद्दीकी। बोधगया ब्लास्ट में NIA ने 90 गवाहों को पेश किया था।
गृह मंत्रालय ने बताया था- ये आतंकी हमला है
गृह मंत्रालय ने बिहार में महाबोधि मंदिर के भीतर और बाहर हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोटों को आतंकी हमला बताया था और जांच के लिए एनआईए तथा एनएसजी की टीमें घटनास्थल पर भेजी गई थीं।
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पहलगाम हमले के बाद बिहार में पुलिस की चप्पे–चप्पे पर निगरानी है। दो दिनों पहले पटना पुलिस ने दो संदिग्ध लोगों को पकड़ा भी था, पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। NIA भी बिहार में एक्टिव है। बिहार में भी बीते 12 सालों में 3 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं। सबसे बड़ी घटना 2013 में राजधानी पटना में ही हुई थी। पूरी खबर पढ़िए