1600 people are adopting patients and providing them nutritious food, 90% of them are from the health department | विश्व टीबी दिवस: मरीजों को गोद लेकर पोषण आहार दे रहे 16 सौ लोग, 90% स्वास्थ्य विभाग के – Raipur News


टीबी मरीजों को इलाज के दौरान दवा के साथ-साथ अलग से पोषण आहार की जरूरत होती है। जिले में 1600 लोग ऐसे हैं, जो इन्हें गोद लेकर उनकी मदद कर रहे हैं। ये उन्हें हर माह पोषण आहार उपलब्ध करा रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से 90 फीसदी लोग स्वास्थ्य वि

.

जिले में इस समय टीबी के 2300 मरीज हैं, जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है और ये सभी निचले तबके के लोग हैं। इन्हें सरकार की ओर से हर माह अस्पतालों से निःशुल्क दवा दी जाती है। इनका इलाज 6 से 12 माह तक चलता है।

दवा के साथ-साथ इन्हें अतिरिक्त पोषण की जरूरत पड़ती है। तभी इलाज संभव हो पाता है। सरकार की ओर से पीड़ितों को, जिनका इलाज चल रहा है, निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह 1 हजार रुपए मिलते हैं। बाकी खर्च मरीजों को खुद उठाना पड़ता है। टीबी रोगियों को पर्याप्त पोषण आहार मिले, इसके लिए प्रधानमंत्री ने टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत ‘निक्षय मित्र’ पॉलिसी बनाई है।

इसके तहत कोई भी व्यक्ति टीबी मरीज को गोद लेकर उन्हें अतिरिक्त पोषण आहार दे सकता है। टीबी मरीजों को सबसे अधिक प्रोटीन की जरूरत होती है। दवा के साथ यह उतना ही जरूरी है। जिले में टीबी मरीजों की देखरेख के लिए कई लोग आगे आए हैं।

एक मरीज के लिए 300-500 रुपए हो रहे खर्च पोषण आहार में गोद लेने वालों को हर माह केवल 300-500 रुपए का ही खर्च आता है। कोई भी व्यक्ति इसमें अपना योगदान दे सकता है। इसके लिए भारत सरकार की वेबसाइट ‘निक्षय पोर्टल’ पर जाकर लिंक खोलना होगा। वहां वह जिस मरीज को गोद लेना चाहता है, उसका चयन कर अपना नाम रजिस्टर कर सकता है।

15 फीसदी 60 साल से ऊपर और 12% हाई रिस्क वाले टीबी मरीजों में 60 साल से ऊपर वाले करीब 15 फीसदी मरीज हैं। इसी तरह हाई रिस्क वाले शुगर और अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित रोगियों की संख्या 12 प्रतिशत है। इनमें एड्स व अन्य बीमारियां भी शामिल हैं।

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *