11000 meters installed instead of 46, payment 1.17 crore more | 46 की जगह 11000 लगे मीटर, भुगतान 1.17 करोड़ ज्यादा: डोर शिफ्टिंग में धांधली, 36.35 लाख के बदले 1.51 करोड़ इंजीनियर ने ठेकेदार को दिए – Bhagalpur News

स्मार्ट मीटर लगाने के लिए पुराने ‎मीटर काे दरवाजे के बाहर शिफ्ट‎ करने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की ‎आशंका है। इसमें 46670 मीटर‎ दरवाजे पर लगाने थे। इनमें 11‎ हजार ही बाहर किए गए। जबकि ‎इसके लिए ठेकेदार काे इंजीनियर‎ ने पूरी राशि का भुगतान कर दिया। ‎

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मीटर लगाने के हिसाब से ठेकेदार ‎काे 34.35 लाख रुपए देने थे, ‎जबकि प्रति मीटर के हिसाब से‎ 1.51 करोड़ रुपए का भुगतान कर ‎दिया गया। यानी, करीब 1.17 ‎कराेड़ रुपए ज्यादा दिए गए। लेखा संकलन के दौरान मामला प्रकाश में आया। मामला‎ अमरपुर का है।‎

साउथ बिहार पावर‎डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड के‎ महाप्रबंधक (वित्त व लेखा) प्रदीप‎ माजि ने विद्युत अपूर्ति अंचल के‎ अधीक्षण अभियंता काे जांच के निर्देश दिए हैं। ‎मामले की जांच कर रिपोर्ट मांगी है।‎

अधीक्षण अभियंता रितु अभिषेक ने‎ पांच सदस्यीय जांच कमेटी गठित‎ कर दी है। साथ ही अमरपुर के ‎एग्जीक्यूटिव इंजीनियर सुभाष कुमार‎ को शो कॉज किया है। एई ने बताया‎ कि रिपोर्ट आने पर पता चलेगा कि ‎गड़बड़ी हुई या नहीं। मानक के ‎मुताबिक मीटर बाहर है या नहीं।

बिजली विभाग के इंजीनियर ठेकेदार पर है मेहरबान

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राशि के बंदरबाट की अशंका

महाप्रबंधक प्रदीप माजी ने पत्र में कहा है कि एमआरटी (मीटरिंग, रिले और टेस्टिंग) प्रमंडल से मिली जानकारी के मुताबिक, प्रमंडल का गठन जनवरी 2019 से 30 सितंबर 2024 तक की अवधि में अमरपुर अपूर्ति प्रमंडल के तहत प्रशाखाओं की ओर से मीटर काे डाेर बेल पर शिफ्ट करने के लिए 33 हजार 200 सील बिट की निकासी की गई।

मानक के मुताबिक एक मीटर काे सील करने के लिए तीन सील बिट लगते हैं। ऐसी स्थिति में 33200 सील बिट से 46670 मीटर काे डाेर बेल पर शिफ्ट किया जाना तकनीकी रूप से संभव नहीं है। इन तथ्यों के सामने आने से ऐसा लगता है कि बिल के गलत सत्यापन के जरिए सुनियोजित तरीके से कंपनी की निधि का बंदरबाट किया गया है।

गड़बड़ी… ठेकेदार के बिल‎में जीएसटी नहीं दर्शाया‎ जिस ठेकेदार सुनील कुमार राय काे‎ भुगतान किया है, जो जीएसटी ‎कानून के तहत रजिस्टर्ड है, पर उनकी ओर से जमा बिल में जीएसटी नहीं ‎दर्शाया गया है। इस तरह की कई‎ त्रुटियां प्रारंभिक जांच में पाई गई है।‎प्रारंभिक जांच में यह बात सामने‎ आई कि वहां 46670 मीटर काे‎ डाेर बेल पर शिफ्ट करने के लिए‎ 1,1535744 (328 रुपए प्रति‎मीटर) का भुगतान किया गया।‎

बांका में 310, अमरपुर में 328 रु. भुगतान‎ पत्र में कहा गया है कि लेखा संकलन के दाैरान यह बात ‎संज्ञान में आई है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 और 2024-25 के दाैरान डाेर बेल पर मीटर शिफ्टिंग के मद‎ में बड़ी राशि खर्च की गई है। इन खर्चों के लिए एस्टीमेट‎ भी स्वीकृत नहीं किए गए थे। यहां तक की प्रति मीटर ‎भुगतान मजदूरी की दर भी अलग-अलग ‎प्रमंडलाें में अलग-अलग है।

यानी 5 चरणों में किए गए ‎इस काम के लिए एक ओर जहां बांका अपूर्ति प्रमंडल ने‎ प्रति मीटर जीएसटी छोड़कर 310 रुपए का भुगतान ‎किया। वहीं, अमरपुर अपूर्ति प्रमंडल ने 328 रुपए का‎ भुगतान किया। वर्ष 2019 में अमरपुर अपूर्ति प्रमंडल‎बांका अपूर्ति प्रमंडल के पुनर्गठन के बाद बना था।‎

बिना एस्टीमेट की स्वीकृति के कराया काम

महाप्रबंधक ने अधीक्षण अभियंता से कहा है कि मामले की तह तक जाने के लिए गहन जांच की जरूरत है। इसलिए निर्देश है कि अमरपुर अपूर्ति प्रमंडल ने बिना एस्टीमेट की स्वीकृत किए ही कराए गए कार्य की सत्यता की जांच कर स्पष्ट रिपोर्ट उपलब्ध कराएं कि महज 33200 सील बिट की निकासी से 46670 मीटर काे डाेर बेल पर शिफ्ट किए जाने का काम तकनीकी रूप से किस तरह से संभव हाे पाया।

अब इस मामले में अधीक्षण अभियंता ने जांच के लिए पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। जांच रिपोर्ट आने के बाद इसमें गड़बड़ी से पूरी तरह से पर्दा उठ सकेगा।

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