जीवन को अब वश में करना छोड़ दिया


चंडीगढ़ | शनिवार को सेक्टर-33 में साहित्यिक विचार मंच की ओर से गोष्ठी हुई, जो लेखक नृपेन्द्र सिंह रतन को समर्पित थी। गोष्ठी का संचालन किया लेखक अमरजीत ‘अमर’ ने। पहले भाग में लेखक नृपेन्द्र सिंह रतन से जुड़ी बातों का जिक्र किया गया। दूसरे भाग में लेखकों ने अपनी रचनाएं सुनाई, जो हिंदी और पंजाबी में थी। सभी का विषय अलग था। बृज भूषण शर्मा ने सुनाया – “जीवन को अब वश में करना छोड़ दिया, हंसता हूं बस रोना धोना छोड़ दिया’। सरदारी लाल धवन ने सुनाया- “हों जिस्म दो, दिल एक ही, कहते हैं इसको आशिक़ी’। अमरजीत अमर ने सुनाया – “कदी तुरणों नहीं रुकदे, बड़े दमदार ने रस्ते, यकीनन जिंदगी विच, जिंदगी दा सार ने रस्ते’। इनके अलावा लेखक विजय कपूर , नृप उदय सिंह रतन, सुभाष शर्मा, राजेश पंकज आदि ने भी रचनाएं सुनाई। इनके अलावा कार्यक्रम में रमा रतन, कर्नल जसबीर भुल्लर, इंदरजीत सिंह, सरदारा चीमा, जंग बहादुर गोयल भी शामिल हुए।

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